|| अथ श्रीदुर्गादेवीनमनम् ||
रचना: © डॉ. चंद्रहास शास्त्री सोनपेठकर
श्रीगणेशाय नम:
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श्रीदुर्गादेव्यै नम: | श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वतिभयो नम: |
श्रीगुरवे नम: |
कृपादानरतामम्बां
भक्तकल्याणकारिकाम् |
तापत्रयविनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १ ||
आरक्तवसनां
दिव्यां नमामि भक्तवत्सलाम् |
तापत्रयविनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || २ ||
सिंहस्कन्धां
जयामम्बां नित्यं भक्तहिते रताम् |
तापत्रयविनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ३ ||
हेमाङ्गीं
ललितां देवीं भक्तहृदि निवासिताम् |
तापत्रयविनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ४ ||
लोकोत्तरस्वरूपाम्बां चारुचन्द्रार्धशेखराम् |
तापत्रयविनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ५ ||
अशुभादशिवाच्चापि
पाहि मां जगदम्बिके |
तापत्रयविनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ६ ||
यशो देहि सुखं
देहि देहि धान्यं धनं तथा |
तापत्रयविनाशाय दुर्गां
देवीं नमाम्यहम् || ७ ||
गृहं च मे कृषिं
चापि पुत्रान् च देहि मे शिवे |
तापत्रयविनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ८ ||
मन्दस्मितां
चिदानन्दां सदानन्दां शुभां शिवाम् |
तापत्रयविनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ९ ||
सुहास्यवदनामम्बां
चारुनयनशोभिताम् |
तापत्रयविनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १० ||
विशालनेत्रसम्राज्ञीं धनुभ्रुवौसुशोभिताम् |
तापत्रयविनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ११ ||
हरिद्राकुंकुमसौभाग्यद्रव्यभालसुशोभिताम् |
तापत्रयविनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १२ ||
भालेन्दावरुणौ बालौ सुशोभितौ च ते ननु |
तापत्रयविनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १३ ||
नासिकाग्रं च
दृष्ट्वा ते स्मर्यते बाण एव हि |
तापत्रयविनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १४ ||
कपोलौ कोमलौ तेऽम्ब
चोजस्विनौ सुशोभितौ |
तापत्रयविनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १५ ||
सुशोभा
कुण्डलाभ्यां ते कर्णयोर्वर्धिता ननु |
तापत्रयविनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १६ ||
अधरोष्ठौ च ते मात: हास्येन लसितौ ननु |
तापत्रयविनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १७ ||
निशायां शोभते
चन्द्रो दर्शनं केशभालयो: |
तापत्रयविनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १८ ||
नश्यते सकला
चिन्ता ध्यानेन तव मातृके |
तापत्रयविनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १९ ||
स्वाहा स्वधा
तथा स्वस्तिस्त्वमेव हि त्वमेव हि |
तापत्रयविनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || २० ||
मत्वाज्ञं बालकं
मात: क्षन्तव्योऽहं त्वया खलु |
तापत्रयविनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || २१ ||
मङ्गलां मङ्गलं
कर्त्रीं प्रकृतिं सुकृतिं तथा |
तापत्रयविनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || २२ ||
तुष्टिं पुष्टिं
च शान्तिं च महामायां च कालिकाम् |
तापत्रयविनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || २३ ||
भद्रां निद्रां दयार्द्रां
त्वाम् अनन्तामभयां शिवाम् |
तापत्रयविनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || २४ ||
अमृतकुम्भहस्तां
त्वां कान्तिमतीं प्रभावतीम् |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || २५ ||
वरदां शुभदां देवीं सर्वदां सुखदां शुभाम् |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || २६ ||
जगतो जननीं जप्त्वा
प्राप्तुं किमवशिष्यते |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || २७ ||
स्मरन्ति ये जनास्त्वां
ते भवन्ति सुखिनः सदा |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || २८ ||
यत्र यान्ति जनास्ते
वै तत्र तत्र सुखं महत् |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || २९ ||
अनन्तं महिमानं
ते ज्ञातुं न शक्यते खलु |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ३० ||
जयोऽस्ति ते कृपादेश:
सुखं च ते कृपाफलम् |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ३१ ||
दुर्गमाण्यपि
कार्याणि सिध्यन्ति कृपया तव |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ३२ ||
भवन्ति जयिनो
भक्तास्ते सर्वत्र सदा सदा |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ३३ ||
पुष्पै:
सुशोभितां देवीं मङ्गलां परमां शिवाम् |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ३२ ||
मुक्ताहारं धरन्तीं त्वां लतेव शोभितां बहु |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ३३ ||
आभ्रमन् भ्रमरो
गुञ्जन् करोतीव जपं तव |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ३४ ||
श्रुत्वा शङ्खध्वनिं
तेऽम्ब पलायन्तेऽसुरास्तत: |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ३५ ||
अनुकूलं हि भक्तेभ्यो
मधुमत् वचनं तव |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ३६ ||
प्रतिकूलं ह्यभक्तेभ्यो
वचनं तव मातृके |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ३७ ||
योगक्षेमं
वहन्तीं त्वां नमाम्यहं पुन:पुन: |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ३८ ||
सुखानामाकरो हस्त:
शोभते तव रेणुके |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ३९ ||
बालकोऽहं त्वया
देवि क्षमस्व परमेश्वरी |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ४० ||
जगदुद्धारकर्त्रीं
त्वां समृद्धेश्चापि कारणम् |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ४१ ||
कल्याणं करणीयं
मे देवेन्द्रस्य यथा कृतम् |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ४२ ||
त्वं हि देवी
सुराणां च ऋषीणां चाभिरक्षिणी |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ४३ ||
यद्यद् पिबामि
तत्तद्धि तीर्थं चरणयोस्तव |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ४४ ||
यद्यद् भक्ष्यामि
तत्तद्धि प्रसादस्ते च रेणुके |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ४५ ||
यद्यद् पश्यामि
तत्तद्धि रूपं च तव रेणुके |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ४६ ||
यत्र यत्र च गच्छामि
स्थानं च तव रेणुके |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ४७ ||
यद्यद् श्रुणोमि
तत्तद्धि चरितं तव रेणुके |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ४८ ||
अमृतांशुसखीं
देवीं पापापहारिणीं शिवाम् |
दारिद्र्यदु:खनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ४९ ||
भक्तानां कामधेनुस्त्वं
देह्यचलाचलां सखि |
दारिद्र्यदु:खनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ५० ||
अचिराद्देहि
संपत्त्वं समृद्धिश्चारुरूपिणि |
दारिद्र्यदु:खनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ५१ ||
धान्यं च मे धनं
देहि दधिं दुग्धं घृतं तथा |
दारिद्र्यदु:खनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ५२ ||
त्रिलोकेशि
महादेवि नमस्तुभ्यं नमो नम: |
दारिद्र्यदु:खनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ५३ ||
त्वां जगज्जननीं
देवीं चन्द्रशेखरवल्लभाम् |
दारिद्र्यदु:खनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ५४ ||
अज्ञेयाऽसि यथा
लीला भवानि तव वर्तते |
दारिद्र्यदु:खनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ५५ ||
त्वां त्रिगुणात्मिकां
देवीं भजाम्यहं सदा सदा |
दारिद्र्यदु:खनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ५६ ||
त्वां त्रिगुणात्मिकां
देवीं भजान्यहं सदा सदा |
दारिद्र्यदु:खनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ५७ ||
आज्ञया
श्रीगुरोर्नित्यं त्वां भजाम्यहमम्बिके |
दारिद्र्यदु:खनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ५८ ||
देवि जानासि
सर्वं त्वं प्रोक्तव्यं किं मयाम्बिके |
दारिद्र्यदु:खनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ५९ ||
सुरथाय त्वया
दत्तं राज्यमपेक्षितं पुन: |
दारिद्र्यदु:खनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ६० ||
समाधये त्वया
दत्तं यत्तेनापेक्षितं तथा |
दारिद्र्यदु:खनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ६१ ||
धर्मार्थकाममोक्षाणां
दानं यच्छसि मातृके |
दारिद्र्यदु:खनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ६२ ||
स्थितिर्गतिश्च
लोके मत् आनन्दलहरी भवेत् |
दारिद्र्यदु:खनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ६३ ||
अम्भोजवदने देवि
हृत्कमलं लसेच्च मे |
दारिद्र्यदु:खनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ६४ ||
मे चित्तममलं
देवि कुरुश्व निर्मलं कृपे |
दारिद्र्यदु:खनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ६५ ||
स्थातव्यं च
त्वया देवि निर्मले मम मानसे |
दारिद्र्यदु:खनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ६६ ||
सर्वदु:खान्तकं
नाम यत्तेऽस्तु मन्मुखे सदा |
दारिद्र्यदु:खनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ६७ ||
विद्यादात्री
धनंदात्री तव रूपाणि मातृके |
दारिद्र्यदु:खनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ६८ ||
विद्या मे सफलाऽस्तां
च धनं च सफलं भवेत् |
दारिद्र्यदु:खनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ६९ ||
त्वं
शक्तिरूपिणी देवी लक्ष्मीर्विद्या तथैव च |
दारिद्र्यदु:खनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ७० ||
तव स्वरूपमज्ञेयं
तस्य पारं न याति वै |
दारिद्र्यदु:खनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ७१ ||
पादपद्मनि ते
देवि मे चित्तमस्तु सर्वदे |
दारिद्र्यदु:खनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ७२ ||
सिद्धिर्भवतु मे
नित्यम् अहङ्कारस्तु मास्तु माम् |
धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ७३ ||
अपवित्रं
पवित्रं वा कृपया मङ्गलं भवेत् |
धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ७४ ||
यदक्षीणमसामर्थ्यं
समर्थं कृपया भवेत् |
धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ७५ ||
सुकरो हि भवेन्मार्ग:
कृपया तव रेणुके |
धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ७६ ||
जगद्भवेत्
सहाय्यार्थं कृपया जगदम्बिके |
धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ७७ ||
पवित्रमस्तु मनो
मे च सद्विचारास्तथैव च |
धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ७८ ||
मङ्गला मधुरा
चास्तां वाणी मे मङ्गले शिवे |
धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ७९ ||
काया
स्वस्थास्तु मे देवि त्वत्कृपया महेश्वरी |
धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ८० ||
ऐश्वर्यं वैभवं
मेऽस्तु मामकानां च सर्वदे |
धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ८१ ||
दुर्गतिं सुगतिं
कृत्वा सहजं कुरु जीवनम् |
धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ८२ ||
दुर्गमं सुगमं
कृत्वा सहजं कुरु जीवनम् |
धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ८३ ||
अप्राप्तं
मङ्गलं यच्च देहि मे सत्वरं शिवे |
धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ८४ ||
प्राप्तं
सुमङ्गलं यच्च रक्षणीयं हि तत्त्वया |
धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ८५ ||
उत्कृष्टां
सहजां भक्तिं देहि कल्याणि मे सदा |
धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ८६ ||
श्रीपार्वति
नमस्तुभ्यं पर्वतराजकन्यके |
धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ८७ ||
दूरीकुरुष्व मे
तापान् वृषभध्वजवल्लभे |
धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ८८ ||
शास्त्रयुक्ता
मतिर्मेश्च विद्यतां रेणुके सदा |
धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ८९ ||
तेजश्चौजश्च शान्तिं
च देहि शङ्करवल्लभे |
धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ९० ||
देहि मे शरणं
दुर्गे जगत: पालिके शिवे |
धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ९१ ||
धर्मं च मे
तथार्थं मे देहि मां पाहि शोभने |
धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ९२ ||
अभयदां महामायां
दुर्गां दुर्गतिनाशिनीम् |
धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ९३ ||
पुष्पं हृत्कल्पितं
दुर्गे गृहाण प्रार्थये शिवे |
धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ९४ ||
कारुण्यरूपिणीं
दुर्गे वन्दे तारुण्यरूपिणीम् |
धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ९५ ||
कौशलं देहि
मह्यं च नैपुण्यं विजयं यश: |
धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ९६ ||
सम्पत्तौ च
विपत्तौ च मत्समीपे हि तिष्ठसि |
अनुभूतिर्ममैषास्ति
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ९७ ||
देहि दृढतरां
श्रद्धां मह्यं कमललोचने |
शिवे शिवात्मिकेऽपर्णे
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ९८ ||
प्रकृतिं
सुकृतिं देवीं ललितां लसितां शिवाम् |
वत्सलां वल्लभां
गौरीं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ९९ ||
भार्गवजननीमम्बां
मातापुरनिवासिनीम् |
भक्तकामप्रदां
वन्द्यां दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १०० ||
नित्याराध्याभिवन्द्यां
त्वां श्रीजमदग्निवल्लभाम् |
तापत्रयविनाशाय दुर्गां
देवीं नमाम्यहम् || १०१ ||
खड्गहस्तां धनुर्हस्तां
स्वर्णवर्णां हिरण्यदाम् |
तापत्रयविनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १०२ ||
शङ्खिनीं
चक्रिणीमम्बां कनकलतिकां शिवाम् |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १०३ ||
पुष्पधरां
गदाहस्तां श्रीगङ्गाधरवल्लभाम् |
अभीष्टफललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १०४ ||
योगक्षेमं
वहन्तीं त्वां दयारूपां जयप्रदाम् |
दारिद्र्यदु:खनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १०५ ||
हिमाचलसुतां
शक्तिं रत्नाङ्कितां कृपानिधिम् |
दारिद्र्यदु:खनाशाय
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १०६ ||
प्रगतिं सन्मतिं
रम्यां सिद्धिदात्रीं शिवप्रियाम् |
धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १०७||
मदीये मानसे
नित्यं वसतिं कुरु रेणुके |
धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं
दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १०८||
|| इति
श्रीगुरोराज्ञया चन्द्रहासविरचितं श्रीदुर्गादेवीनमनं सम्पूर्णम् ||
(दि. २०/०१/२०२१
रात्रौ २३.४८ वादने)
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