Thursday, May 13, 2021

श्रीदुर्गादेवीनमनम्

 

|| अथ श्रीदुर्गादेवीनमनम् ||

 रचना: © डॉ. चंद्रहास शास्त्री सोनपेठकर 

 



श्रीगणेशाय नम: | श्रीदुर्गादेव्यै नम: | श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वतिभयो नम: |

श्रीगुरवे नम: |

 

कृपादानरतामम्बां भक्तकल्याणकारिकाम् |

तापत्रयविनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १ ||

आरक्तवसनां दिव्यां नमामि भक्तवत्सलाम् |

तापत्रयविनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || २ ||

सिंहस्कन्धां जयामम्बां नित्यं भक्तहिते रताम् |

तापत्रयविनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ३ ||

हेमाङ्गीं ललितां देवीं भक्तहृदि निवासिताम् |

तापत्रयविनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ४ ||

लोकोत्तरस्वरूपाम्बां चारुचन्द्रार्धशेखराम् |

तापत्रयविनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ५ ||

अशुभादशिवाच्चापि पाहि मां जगदम्बिके |

तापत्रयविनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ६ ||

यशो देहि सुखं देहि देहि धान्यं धनं तथा |

तापत्रयविनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ७ ||

गृहं च मे कृषिं चापि पुत्रान् च देहि मे शिवे |

तापत्रयविनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ८ ||

मन्दस्मितां चिदानन्दां सदानन्दां शुभां शिवाम् |

तापत्रयविनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ९ ||

सुहास्यवदनामम्बां चारुनयनशोभिताम् |

तापत्रयविनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १० ||

विशालनेत्रसम्राज्ञीं धनुभ्रुवौसुशोभिताम् |

तापत्रयविनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ११ ||

हरिद्राकुंकुमसौभाग्यद्रव्यभालसुशोभिताम् |

तापत्रयविनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १२ ||

भालेन्दावरुणौ बालौ सुशोभितौ च ते ननु |

तापत्रयविनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १३ ||

नासिकाग्रं च दृष्ट्वा ते स्मर्यते बाण एव हि |

तापत्रयविनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १४ ||

कपोलौ कोमलौ तेऽम्ब चोजस्विनौ सुशोभितौ |

तापत्रयविनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १५ ||

सुशोभा कुण्डलाभ्यां ते कर्णयोर्वर्धिता ननु |

तापत्रयविनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १६ ||

अधरोष्ठौ च ते मात: हास्येन लसितौ ननु |

तापत्रयविनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १७ ||

निशायां शोभते चन्द्रो दर्शनं केशभालयो: |

तापत्रयविनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १८ ||

नश्यते सकला चिन्ता ध्यानेन तव मातृके |

तापत्रयविनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १९ ||

स्वाहा स्वधा तथा स्वस्तिस्त्वमेव हि त्वमेव हि |

तापत्रयविनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || २० ||

मत्वाज्ञं बालकं मात: क्षन्तव्योऽहं त्वया खलु |

तापत्रयविनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || २१ ||

मङ्गलां मङ्गलं कर्त्रीं प्रकृतिं सुकृतिं तथा |

तापत्रयविनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || २२ ||

तुष्टिं पुष्टिं च शान्तिं च महामायां च कालिकाम् |

तापत्रयविनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || २३ ||

भद्रां निद्रां दयार्द्रां त्वाम् अनन्तामभयां शिवाम् |

तापत्रयविनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || २४ ||

अमृतकुम्भहस्तां त्वां कान्तिमतीं प्रभावतीम् |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || २५ ||

वरदां शुभदां देवीं सर्वदां सुखदां शुभाम् |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || २६ ||

जगतो जननीं जप्त्वा प्राप्तुं किमवशिष्यते |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || २७ ||

स्मरन्ति ये जनास्त्वां ते भवन्ति सुखिनः सदा |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || २८ ||

यत्र यान्ति जनास्ते वै तत्र तत्र सुखं महत् |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || २९ ||

अनन्तं महिमानं ते ज्ञातुं न शक्यते खलु |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ३० ||

जयोऽस्ति ते कृपादेश: सुखं च ते कृपाफलम् |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ३१ ||

दुर्गमाण्यपि कार्याणि सिध्यन्ति कृपया तव |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ३२ ||

भवन्ति जयिनो भक्तास्ते सर्वत्र सदा सदा |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ३३ ||

पुष्पै: सुशोभितां देवीं मङ्गलां परमां शिवाम् |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ३२ ||

मुक्ताहारं धरन्तीं त्वां लतेव शोभितां बहु |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ३३ ||

आभ्रमन् भ्रमरो गुञ्जन् करोतीव जपं तव |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ३४ ||

श्रुत्वा शङ्खध्वनिं तेऽम्ब पलायन्तेऽसुरास्तत: |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ३५ ||

अनुकूलं हि भक्तेभ्यो मधुमत् वचनं तव |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ३६ ||

प्रतिकूलं ह्यभक्तेभ्यो वचनं तव मातृके |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ३७ ||

योगक्षेमं वहन्तीं त्वां नमाम्यहं पुन:पुन: |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ३८ ||

सुखानामाकरो हस्त: शोभते तव रेणुके |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ३९ ||

बालकोऽहं त्वया देवि क्षमस्व परमेश्वरी |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ४० ||

जगदुद्धारकर्त्रीं त्वां समृद्धेश्चापि कारणम्  |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ४१ ||

कल्याणं करणीयं मे देवेन्द्रस्य यथा कृतम् |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ४२ ||

त्वं हि देवी सुराणां च ऋषीणां चाभिरक्षिणी |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ४३ ||

यद्यद् पिबामि तत्तद्धि तीर्थं चरणयोस्तव |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ४४ ||

यद्यद् भक्ष्यामि तत्तद्धि प्रसादस्ते च रेणुके |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ४५ ||

यद्यद् पश्यामि तत्तद्धि रूपं च तव रेणुके |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ४६ ||

यत्र यत्र च गच्छामि स्थानं च तव रेणुके |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ४७ ||

यद्यद् श्रुणोमि तत्तद्धि चरितं तव रेणुके |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ४८ ||

अमृतांशुसखीं देवीं पापापहारिणीं शिवाम् |

दारिद्र्यदु:खनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ४९ ||

भक्तानां कामधेनुस्त्वं देह्यचलाचलां सखि |

दारिद्र्यदु:खनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ५० ||

अचिराद्देहि संपत्त्वं समृद्धिश्चारुरूपिणि |

दारिद्र्यदु:खनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ५१ ||

धान्यं च मे धनं देहि दधिं दुग्धं घृतं तथा |

दारिद्र्यदु:खनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ५२ ||

त्रिलोकेशि महादेवि नमस्तुभ्यं नमो नम: |

दारिद्र्यदु:खनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ५३ ||

त्वां जगज्जननीं देवीं चन्द्रशेखरवल्लभाम् |

दारिद्र्यदु:खनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ५४ ||

अज्ञेयाऽसि यथा लीला भवानि तव वर्तते |

दारिद्र्यदु:खनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ५५ ||

त्वां त्रिगुणात्मिकां देवीं भजाम्यहं सदा सदा |

दारिद्र्यदु:खनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ५६ ||

त्वां त्रिगुणात्मिकां देवीं भजान्यहं सदा सदा |

दारिद्र्यदु:खनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ५७ ||

आज्ञया श्रीगुरोर्नित्यं त्वां भजाम्यहमम्बिके |

दारिद्र्यदु:खनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ५८ ||

देवि जानासि सर्वं त्वं प्रोक्तव्यं किं मयाम्बिके |

दारिद्र्यदु:खनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ५९ ||

सुरथाय त्वया दत्तं राज्यमपेक्षितं पुन: |

दारिद्र्यदु:खनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ६० ||

समाधये त्वया दत्तं यत्तेनापेक्षितं तथा |

दारिद्र्यदु:खनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ६१ ||

धर्मार्थकाममोक्षाणां दानं यच्छसि मातृके |

दारिद्र्यदु:खनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ६२ ||

स्थितिर्गतिश्च लोके मत् आनन्दलहरी भवेत् |

दारिद्र्यदु:खनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ६३ ||

अम्भोजवदने देवि हृत्कमलं लसेच्च मे |

दारिद्र्यदु:खनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ६४ ||

मे चित्तममलं देवि कुरुश्व निर्मलं कृपे |

दारिद्र्यदु:खनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ६५ ||

स्थातव्यं च त्वया देवि निर्मले मम मानसे |

दारिद्र्यदु:खनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ६६ ||

सर्वदु:खान्तकं नाम यत्तेऽस्तु मन्मुखे सदा |

दारिद्र्यदु:खनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ६७ ||

विद्यादात्री धनंदात्री तव रूपाणि मातृके |

दारिद्र्यदु:खनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ६८ ||

विद्या मे सफलाऽस्तां च धनं च सफलं भवेत् |

दारिद्र्यदु:खनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ६९ ||

त्वं शक्तिरूपिणी देवी लक्ष्मीर्विद्या तथैव च |

दारिद्र्यदु:खनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ७० ||

तव स्वरूपमज्ञेयं तस्य पारं न याति वै |

दारिद्र्यदु:खनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ७१ ||

पादपद्मनि ते देवि मे चित्तमस्तु सर्वदे |

दारिद्र्यदु:खनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ७२ ||

सिद्धिर्भवतु मे नित्यम् अहङ्कारस्तु मास्तु माम् |

धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ७३ ||

अपवित्रं पवित्रं वा कृपया मङ्गलं भवेत् |

धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ७४ ||

यदक्षीणमसामर्थ्यं समर्थं कृपया भवेत् |

धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ७५ ||

सुकरो हि भवेन्मार्ग: कृपया तव रेणुके |

धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ७६ ||

जगद्भवेत् सहाय्यार्थं कृपया जगदम्बिके |

धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ७७ ||

पवित्रमस्तु मनो मे च सद्विचारास्तथैव च |

धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ७८ ||

मङ्गला मधुरा चास्तां वाणी मे मङ्गले शिवे |

धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ७९ ||

काया स्वस्थास्तु मे देवि त्वत्कृपया महेश्वरी |

धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ८० ||

ऐश्वर्यं वैभवं मेऽस्तु मामकानां च सर्वदे |

धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ८१ ||

 

दुर्गतिं सुगतिं कृत्वा सहजं कुरु जीवनम् |

धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ८२ ||

दुर्गमं सुगमं कृत्वा सहजं कुरु जीवनम् |

धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ८३ ||

अप्राप्तं मङ्गलं यच्च देहि मे सत्वरं शिवे |

धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ८४ ||

प्राप्तं सुमङ्गलं यच्च रक्षणीयं हि तत्त्वया |

धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ८५ ||

उत्कृष्टां सहजां भक्तिं देहि कल्याणि मे सदा |

धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ८६ ||

श्रीपार्वति नमस्तुभ्यं पर्वतराजकन्यके |

धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ८७ ||

दूरीकुरुष्व मे तापान् वृषभध्वजवल्लभे |

धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ८८ ||

शास्त्रयुक्ता मतिर्मेश्च विद्यतां रेणुके सदा |

धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ८९ ||

तेजश्चौजश्च शान्तिं च देहि शङ्करवल्लभे |

धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ९० ||

देहि मे शरणं दुर्गे जगत: पालिके शिवे |

धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ९१ ||

धर्मं च मे तथार्थं मे देहि मां पाहि शोभने |

धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ९२ ||

अभयदां महामायां दुर्गां दुर्गतिनाशिनीम् |

धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ९३ ||

पुष्पं हृत्कल्पितं दुर्गे गृहाण प्रार्थये शिवे |

धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ९४ ||

कारुण्यरूपिणीं दुर्गे वन्दे तारुण्यरूपिणीम् |

धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ९५ ||

कौशलं देहि मह्यं च नैपुण्यं विजयं यश: |

धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ९६ ||

सम्पत्तौ च विपत्तौ च मत्समीपे हि तिष्ठसि |

अनुभूतिर्ममैषास्ति दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ९७ ||

देहि दृढतरां श्रद्धां मह्यं कमललोचने |

शिवे शिवात्मिकेऽपर्णे दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ९८ ||

प्रकृतिं सुकृतिं देवीं ललितां लसितां शिवाम् |

वत्सलां वल्लभां गौरीं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || ९९ ||

भार्गवजननीमम्बां मातापुरनिवासिनीम् |

भक्तकामप्रदां वन्द्यां दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १०० ||

नित्याराध्याभिवन्द्यां त्वां श्रीजमदग्निवल्लभाम् |

तापत्रयविनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १०१ ||

खड्गहस्तां धनुर्हस्तां स्वर्णवर्णां हिरण्यदाम् |

तापत्रयविनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १०२ ||

शङ्खिनीं चक्रिणीमम्बां कनकलतिकां शिवाम् |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १०३ ||

पुष्पधरां गदाहस्तां श्रीगङ्गाधरवल्लभाम् |

अभीष्टललाभाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १०४ ||

योगक्षेमं वहन्तीं त्वां दयारूपां जयप्रदाम् |

दारिद्र्यदु:खनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १०५ ||

हिमाचलसुतां शक्तिं रत्नाङ्कितां कृपानिधिम् |

दारिद्र्यदु:खनाशाय दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १०६ ||

प्रगतिं सन्मतिं रम्यां सिद्धिदात्रीं शिवप्रियाम् |

धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १०७||

मदीये मानसे नित्यं वसतिं कुरु रेणुके |

धर्मकामार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गां देवीं नमाम्यहम् || १०८||

|| इति श्रीगुरोराज्ञया चन्द्रहासविरचितं श्रीदुर्गादेवीनमनं सम्पूर्णम् ||

(दि. २०/०१/२०२१ रात्रौ २३.४८ वादने)


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