Tuesday, April 27, 2021

... श्रेष्ठो विशालश्च।

 

... श्रेष्ठो विशालश्च।
माणूस श्रेष्ठ होय, संकट नव्हे।
©
चन्द्रहासः।

आपदां न नरो याति
आपदा याति मानुषम्।
नरो श्रेष्ठो विशालश्च
न तत्र संशयः पुनः।।१।।

मनुष्य संकट तक नही जाता है। संकट मनुष्य तक जाता है। अतः मनुष्य संकटसे,आपदा से विशाल है। श्रेष्ठ है। इसमे संशय नही है।

विशालं प्रति गन्तव्यं
सर्वे इच्छन्ति निश्चितम्।
नियमं पालयन्ती तम्
आपदा$पि तथैव च।।२।।

जो विशाल है, उसके प्रति जावे, ऐसा प्रायः सभी चाहते है। यही नियम आपदा भी मानती है।

तस्मादेव हि कर्तव्यम्
नृणा धैर्यस्य रक्षणम्।।
निर्भयता तथा धैर्यं
मन्ये श्रेष्ठस्य लक्षणम्।।३।।

अतः मनुष्य ने धेर्य का रक्षण करना चाहिए।निर्भयता तथा धैर्य मै श्रेष्ठ व्यक्ति का लक्षण मानता हू।

श्रद्धां विहाय धैर्यं च
विना धैर्येण निर्भयम्।
नैव तद् कल्पनीयं वै
सश्रद्धः परमस्तथा।।४।।

श्रद्धा के बिना धैर्य नही। धैर्य के बिना निर्भय नही। उस प्रकार कीं कल्पना ही नही कर सकते है। अतः श्रद्धावान श्रेष्ठ है।

अतः श्रद्धा भवेत्तत्र
भगवत्यां न संशयः।
संघर्षः भूरि कर्तव्यः
त्यक्त्वा जयपराजयौ।।५।।

अतः भगवती के उपर श्रद्धा हों। जयपराजय न मानते हूंये संघर्ष करें।

जय श्रीकृष्ण!!!

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