Tuesday, April 27, 2021

नमामि विश्वरूपकम्॥

 

नमामि विश्वरूपकम्॥
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चन्द्रहासः।

क्वचिच्च मेलनं तव
क्वचिच्च लेखनं त्वया
क्वचिच्च दर्शनं तव
क्वचिच्च भाषणं त्वया॥1
हे कृष्ण, आप कभी मिलते हो, कभी लिखते हो, कभी दीखते हो, कभी बोलते हो.

 

त्वामेव कृष्णनागरं
भजाम्यहं सदा सदा।
त्वामेव राधया युतं
स्मराम्यहं सदा सदा॥2
मै आप कृष्णनागर को सदैव भजता हूँ. आप राधासहित को सदैव स्मरता हूँ.

 

पार्थसारथ्यभूषितं
नमाम्यहं सदा सदा।
सुदर्शनस्य चालकं
नमाम्यहं सदा सदा॥3
पार्थ का सारथ्य भूषित करनेवाले आप को सदैव नमन करता हूँ. सुदर्शन के चालक आपको सदैव नमन करता हूँ.

 

गोपजनेषु वल्लभं
नमामि स्नेहसागरम्।
मोहनं मोहनाशकं
नमामि वेणुवादकम्॥4
गोपजनों में प्रिय स्नेहसागर आप को नमन करता हूँ. मोहन मोहविनाशक ऐसे आप वेणुवादक को नमन करता हूँ.

 

लालकं पालकं भगं
दायकं वाञ्छितं सुखम्।
ईशं तथेष्टदायकं
नमामि देवनायकम्॥5
लालक पालक ऐश्वर्य तथा इच्छित सुख देनेवाले, ईश्वर, इष्ट देनेवाले, देवोंके नायक आप को नमन करता हूँ.

 

वसुदेवात्मजं व्रजं
गजं च मुक्तकारकम्।
नन्दमानन्दकारणं
नमामि विश्वरूपकम्॥6
वसुदेव के सुपुत्र व्रज तथा गज को मुक्त करनेवाले, नन्द के आनंद के कारण, विश्वरूपक आप को नमन करता हूँ.

 

वन्दे त्वां सुखदायकं
नमामि दुःखहारकम्।
नमामि कंसमारकं
नमामि पार्थतारकम्॥7
सुखदायक आप को नमन करता हूँ.दुखहारक आप को नमन करता हूँ. कंस को मारनेवाले आप को नमन करता हूँ.पार्थ को तारनेवाले आप को नमन करता हूँ.

 

गोवर्धनधरं वरं
चक्रधरं नमाम्यहम्।
चन्द्रहासकृपाकरं
नमाम्यहं गुणाकरम्॥8
गोवर्धनधर, श्रेष्ठ, चक्रधर आप को नमन करता हूँ.चन्द्रहास पर कृपा करनेवाले, गुणों के भण्डार आप को नमन करता हूँ.

 

क्षमस्व मां सुरेश्वर
राधेश्वर रमेश्वर ।
परिमिता मतिर्मम
चानन्तोऽसि प्रियेश्वर॥9
हे सुरेश्वर, राधेश्वर, रमेश्वर, मुझे क्षमा करो. मेरी मति सिमित है, तथा हे प्रियेश्वर, आप अनंत है.

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