Tuesday, April 27, 2021

त्वां प्रणमामि नित्यं कल्पेश्वरि क्षणे क्षणे //

 

त्वां प्रणमामि नित्यं
कल्पेश्वरि क्षणे क्षणे //
चन्द्रहास:/

त्वां प्रणमाम्यहं  नित्यं
कल्पेश्वरि क्षणे क्षणे /
उपकृतं मदीयं त्वं
जीवनं वै महेश्वरि //
हे कल्पेश्वरी, मै आपको नित्य प्रणाम करता हूँ।  हे महेश्वरी, वास्तव में मेरा जीवन आप ने उपकृत किया है। 

यदा यदा हि दायित्वं
मां प्रत्यायाति तत्क्षणे /
सहाय्यार्थं तु मातस्त्वं
प्रेषयसीति निश्चितम् //
जब कभी दायित्व मेरी ओर आता है, उसी क्षण हे माते, मेरे सहाय्यहेतु आप किसी को निश्चित ही भेजती है। 

आजीवनं कृतार्थोऽहं
मातृके रेणुके तव /
श्रीरेणुके प्रपद्येऽहं
शरणं ते क्षणे क्षणे //
हे रेणुकामाते, मै आपका आजीवन कृतार्थ हूँ।  हे श्रीरेणुके, मै  प्रतिक्षण आपके शरण को प्राप्त होता हूँ। 

जय श्रीकृष्ण!!!

No comments:

Post a Comment

या फोटोची एक सुंदर, छोटीशी गोष्ट......

  (फोटो साभार आंतरजाल / समाजमाध्यम) या फोटोची एक सुंदर, छोटीशी गोष्ट......  खरं तर हा फोटो यापूर्वी देखील मी अनेकदा पाहिलाय. दर्शन घेतलंय. आ...