त्वां प्रणमामि नित्यं
कल्पेश्वरि क्षणे क्षणे //
चन्द्रहास:/
त्वां प्रणमाम्यहं नित्यं
कल्पेश्वरि क्षणे क्षणे /
उपकृतं मदीयं त्वं
जीवनं वै महेश्वरि //
हे कल्पेश्वरी, मै आपको नित्य प्रणाम
करता हूँ। हे महेश्वरी, वास्तव में मेरा जीवन आप ने उपकृत
किया है।
यदा यदा हि दायित्वं
मां प्रत्यायाति तत्क्षणे /
सहाय्यार्थं तु मातस्त्वं
प्रेषयसीति निश्चितम् //
जब कभी दायित्व मेरी ओर आता है, उसी क्षण हे माते, मेरे सहाय्यहेतु आप किसी को निश्चित
ही भेजती है।
आजीवनं कृतार्थोऽहं
मातृके रेणुके तव /
श्रीरेणुके प्रपद्येऽहं
शरणं ते क्षणे क्षणे //
हे रेणुकामाते, मै आपका आजीवन कृतार्थ
हूँ। हे श्रीरेणुके, मै प्रतिक्षण आपके शरण को
प्राप्त होता हूँ।
जय श्रीकृष्ण!!!
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